Wednesday, November 4, 2009

Zeher



हर राह पर तुम्हे देखता हूँ, हर मोड़ पर तुम्हे ढूंढता हूँ,
शायद कहीं तुम मिल जाओ.
हर रात तुम्हे ख़्वाबों में देखता हूँ,
शायद... शायद कभी ज़िन्दगी में उतर आओ.


तुम्हारी एक झलक के लिए
मैं घंटों इंतज़ार करता हूँ.
नहीं दिखती, फिर भी जीता हूँ,
उस एक मीठे पल के लिए पल-पल ज़हर पीता हूँ.


लोग कहते हैं, मैं हँसता नहीं,
हँसूं भी तो कैसे?
तुम मेरी जान हो,
और जान के बिना, बस एक शरीर हूँ जैसे.


तुम्ही से प्यार किया है, तुम्ही से करूंगा,
फिर चाहे तुम करो या नहीं.
तुम्हे प्यार करने से
मुझे कोई रोक सकता नहीं.


सिर्फ एक याद होती, तो भुला देता,
तुम्हें हर सांस में जीता हूँ.
भुला सकता नहीं,
याद कर कर के मरता हूँ.


कल तुम से मिलूँगा,
पता नहीं, फिर मिलूँ भी या नहीं.
तुम्हारे बिना जीयूँगा,
पता नहीं, फिर जीयूँ भी या नहीं.

4 comments:

  1. nice ne...kab aayegi woh tum..lol...keep it up..tc..nice piece of thought

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  2. @ shruti -
    thanks a lot.... btw jab aayegi tab sabko pata chal jaayega.... :p

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  3. kaise pata chalega,aur kaba pata chalega....

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  4. @ shruti -
    pata chal jaayega.... kab wo to mujhe bhi nahi pata....

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