Monday, September 14, 2009

Hindi Diwas - Sep 14

दिल की तहों को खोलिए जनाब
अजी हिन्दी में कुछ बोलिए जनाब
अपनी जुबां से अनबोला नहीं अच्छा
जुबां की ताकत को तोलिये जनाब





मैं यह जान कर अचंभित नहीं होऊंगा कि आज के दिन के बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा । मुझे यकीन है कि ज़्यादातर लोग इस बात से अनभिज्ञ होंगे कि आज 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस है । ऐसे ही लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ कि 60 वर्ष पूर्व आज ही के दिन भारत की संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में मान्यता दी थी ।

हिन्दी भाषा अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में हमेशा से ही मेरी पहली पसंद रही है । मैं जितने अच्छे तरीके से अपने आप को हिन्दी में अभिव्यक्त कर सकता हूँ, उतना शायद मैं अपने आप को अंग्रेज़ी में भी नहीं कर सकता । आज आपको लग रहा होगा कि ये बन्दा कहीं सठिया तो नहीं गया है, आज सब कुछ हिन्दी में ही लिखे जा रहा है । तो मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मैंने इस लेख (post) का शीर्षक (title) मैंने अंग्रेज़ी में ही लिखा है ।

वैसे हिन्दी जैसी सुंदर और सुव्यवस्थित भाषा कोई नहीं है । मुझे हिन्दी से बहुत पहले से ही काफ़ी लगाव रहा है । ये एक विडम्बना (irony) ही है कि मेरे ब्लॉग में मेरी कुछ कविताओं के अलावा हिन्दी के कोई लेख है ही नहीं । खैर, देर आए दुरुस्त आए । आज हिन्दी दिवस के सुअवसर पर ही इसका शुभारम्भ किया जाए ।

हिन्दी एक ऐसी भाषा है जिसे आज कल अपने ही देश में हीन भावना से देखा जाता है । आज कल भारतीय लोग़ हिन्दी के बजाय अंग्रेज़ी को ज्यादा महत्ता देने लगे हैं । सरकारी कार्यों में भी हिन्दी का चलन काफ़ी कम हो गया है । कई सरकारी कार्यालयों में हिन्दी केवल हिन्दी दिवस के दिन ही बोली जाती है और वो भी इसलिए क्योंकि सरकारी आदेश (order) होता है । खैर, इन सब पचडों में न पड़ते हुए मैं आपको हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं देना चाहूँगा ।

मेरे मन-मस्तिष्क में विचार तो काफ़ी हैं, लेकिन मैं इस लेख को यहीं विराम देता हूँ और आपको छोड़ जाता हूँ एक कविता के साथ जो मैंने यहाँ पढ़ी थी....

हम कब तक ये हिन्दी दिवस मानते रह जायेंगे
हिन्दी में कार्य करने का सिर्फ़ संकल्प दोहराते रह जायेंगे
हम कब तक माँ को मॉम (mom), बाप को डैड (dad) बनाते रह जाएँगे
हम कब तक अपनी हिन्दी माँ को ठुकराकर
विदेशी अंग्रेज़ी मम्मी (mummy) को अपनाते रह जायेंगे
पिछले वर्ष जब हमने हिन्दी दिवस मनाया
मैंने सच्चे मन से अंग्रेज़ी छोड़ हिन्दी को अपनाया
अपने आप को कुछ कठिनाइयों में ही पाया
मैंने ऑटो रिक्शा वाले को हिन्दी में बतलाया
क्या विश्वविद्यालय ले चलोगे भाई
उसने मुझको समझाया
यहाँ तो कोई विश्वविद्यालय ही नहीं है
यूनिवर्सिटी (university) जल्दी पहुंचना था जब बतलाया,
तो उसने झल्लाते हुए बतलाया
क्यो अंग्रेज़ी में विश्वविद्यालय कहे जा रहे हो
अपना तथा मेरा वक्त बर्बाद किए जा रहे हो
हिन्दी मैं यूनिवर्सिटी कहने से क्या डरते हो
लगता है अपनी हिन्दी भाषा से प्रेम नहीं करते हो

10 comments:

  1. सर्व प्रथम हिंदी दिवस की आपको ढेरो शुभकामनाये,
    और आपकी इस सुन्दर प्रस्तुति पे भी.
    सच हम हमारी भाषा को शायद कही भूलते जा रहे है,
    इस बात का अंदाजा में इस बात से लगा सकती हु की मुझे ये टिपण्णी लिखने में कितनी मस्सकत करनी पड़ रही है .और यही अगर अंग्रेजी में लिखना होता तोह शायद मेरे लिए बहुत आसान काम होता.

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  2. @ रश्मि -
    धन्यवाद इस लेख पर आप की इस प्रथम टिप्पणी के लिए... अंग्रेज़ी में लिखना आसान इसलिए होता है क्योंकि की-बोर्ड अंग्रेज़ी में होता है.... यदि यह हिन्दी में होता तो शायद हम हिन्दी का प्रयोग ज्यादा करते....

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  3. wel its a great piece of thought..
    nce ne...bt n 2days wrld i dnt thnk 90% of coll student or skool students dnt spk hindi....lol....btvhtevr..great..keep it up

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  4. @ shruti -
    thanks for the comment.... i wanted to reply to ur comment in hindi only.... but since my cell doesn't support hindi (n u dnt understand much either), i stuck to english.... n btw nothing is impossible.... hindi is a rocking language.... i luvvvvv hindi.... :)

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  5. great ur cel des nt support hindi...if u would hv written d cmnt n hindi I would hv killed u up...lol...I dnt lik hindi

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  6. achha.... to hindi mein likh to sakta hoon..... mera mobile yantra nahi to main to kam se kam hindi ka prayog kar sakta hoon.... ab to maine apni tippani hindi mein likhi hai.... ab aapka meri hatya karne ka iraada ho raha hoga na..... :P

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  7. yha sirf board ki samasya nhi hai, mujhe likhne ke liye shabd hi nhi mil rhe the, jaise 'comment' ko tippani kehtin hai, ye sochne mein mujhe waqt laga, aur agar board hindi mein bhi hota toh bhi shaayad hum sudh hindi ka prayog nhi kartein, vo hindi ki bajaaye HINGLISH bhaasha hoti....

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  8. @ रश्मि -
    आपकी यह बात तो काफ़ी हद तक सही है... कुंजी पटल (keyboard) यदि हिन्दी में भी होता तो भी शायद कुछ ख़ास फर्क नहीं पड़ता.... हमारा दिमाग शायद हिन्दी से ज़्यादा अंग्रेज़ी में चलता है....

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