Tuesday, February 9, 2010

Kaisa Ye Hungama?



हर कोई पीता है
अपने आंसुओं को,
मैं जो थोडा सा पी आया,
तो कैसा ये हंगामा.


हर कोई गिरता है
ज़िन्दगी की राहों में,
मैं जो थोडा सा रुक गया,
तो कैसा ये हंगामा.


हर कोई हँसता है
दूसरों क़ी बेबसी पर,
मैं जो खुद पर ही हंस दिया,
तो कैसा ये हंगामा.


हर कोई रोता है
तनहाई में छुप कर,
मैं जो महफ़िल में रो दिया,
तो कैसा ये हंगामा.


हर कोई मरता है
पल-पल इस जहां में,
मैं जो पल भर में ही मर गया,
तो कैसा ये हंगामा.


हर कोई लुट जाता है
मोहब्बत की खातिर,
मैं जो थोडा सा हार गया,
तो कैसा ये हंगामा.

हर कोई रखता है
तस्वीर उन की आँखों में,
मैं जो थोडा सा उन्हें देख आया,
तो कैसा ये हंगामा.

4 comments:

  1. wow nw dts a nce ne..superb....keep it up....

    ReplyDelete
  2. nice one...
    likhna bandh mat kariyega, toh ho jaayega hungama ;)
    so keep writing :)

    ReplyDelete
  3. @ rashmi -
    thnx :) main hungama nahi hone dunga....

    ReplyDelete