Wednesday, August 26, 2009

Noor

उन्हें कैसे भुला सकते हैं हम,
जिन की हँसी पे हम मरते हैं.
कैसे कर दें उन्हें ख़ुद से जुदा,
उनकी आवाज़ से भी हम प्यार करते हैं.

हर राह उनकी तरफ़ मुडती नज़र आती है,
हर साँस उनकी याद दिलाती है.
कैसे समझाएं अपने दिल को,
ये धड़कता है, तो उन्ही की याद आती है.

दिल को धड़कना सिखा दिया,
इसे प्यार करना सिखा दिया.
हो गए थे हम इस ज़िन्दगी से रुसवा,
पर उन्होंने हमें जीना सिखा दिया.

हम को दीवाना कर गए हैं वो,
यूँ यादों में बस गए हैं वो.
खो गए हम उनकी बातों में इस तरह,
की हमारी आंखों का नूर बन गए हैं वो.


10 comments:

  1. हो गए थे हम इस ज़िन्दगी से रुसवा,
    पर उन्होंने हमें जीना सिखा दिया.

    >>>सही कहा आपने. बहुत बार बहुत से लोग जीना सिखा देते हैं. जीवन के मायने बता देते हैं.

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  2. @ raviratlami -
    thanks sir.... i'm glad that u appreciated my work :)

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  3. nice poem...jolly good

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  4. @ shilpa -
    thank u very much..... :)

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  5. @ lafanga (unique name..... lol) -
    thanks :)

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  6. nice ne..vry senti n emotional type lik u..lol....

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  7. @ shruti -
    thanks..... yeah... its like me.... lol ;)

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  8. omg.... purely emotional... totally sentimental.... man, just tell me, how do you write such amazing poems?

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  9. @ trishala -
    thanks..... i guess its God's gift.....

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