मुझे तो हर पल सताती है तुम्हारी यादें,
पर तुम्हे मेरी याद क्यों नहीं आती.
यादों में फ़िर भर आती हैं मेरी ये आँखें,
क्यूँ तुम्हारी आँखें मेरी याद में भर नहीं जाती.
कैसे तुम्हे दिलाऊं यकीन, कि बिन तेरे मैं तड़पता हूँ,
क्यूँ मेरी जुदाई में तुम बेचैन हो नहीं जाती.
दिल मचलता है बिन तेरे भटकते भंवरे की तरह,
क्यूँ बन कर खुशबू तुम दिल में मेरे समा नहीं जाती.
फ़िर तनहा तनहा भटकता हूँ राहों में, ढूंढता हूँ तेरे चेहरे को,
क्यूँ किसी चेहरे में मुझे तुम नज़र नहीं आती.
जीया नहीं जाता अब एक पल भी बिन तेरे,
क्यूँ तुम सब कुछ छोड़ कर मेरी ज़िन्दगी में चली नहीं आती.
जब सो जाता है सारा जहाँ खामोश रात की आगोश में,
क्यूँ मुझे सारी सारी रात नींद नहीं आती.
लेटा रहता हूँ बिस्तर पे मैं अपनी बांहों को फैला कर,
क्यों बन कर ख्वाब तुम मेरी बांहों में समा नहीं जाती.
क्या हसीन है वो अदा तेरी मुझे मना करने की,
क्यूँ हमें ऐसी इनकार करने की अदा नहीं आती.
शायद अब तुम ही हो मेरी जुस्तजू और मेरी आखिरी आरजू,
पर तुम से मिलने की ख्वाहिश में ये जान भी तो नहीं जाती.
पर तुम्हे मेरी याद क्यों नहीं आती.
यादों में फ़िर भर आती हैं मेरी ये आँखें,
क्यूँ तुम्हारी आँखें मेरी याद में भर नहीं जाती.
कैसे तुम्हे दिलाऊं यकीन, कि बिन तेरे मैं तड़पता हूँ,
क्यूँ मेरी जुदाई में तुम बेचैन हो नहीं जाती.
दिल मचलता है बिन तेरे भटकते भंवरे की तरह,
क्यूँ बन कर खुशबू तुम दिल में मेरे समा नहीं जाती.
फ़िर तनहा तनहा भटकता हूँ राहों में, ढूंढता हूँ तेरे चेहरे को,
क्यूँ किसी चेहरे में मुझे तुम नज़र नहीं आती.
जीया नहीं जाता अब एक पल भी बिन तेरे,
क्यूँ तुम सब कुछ छोड़ कर मेरी ज़िन्दगी में चली नहीं आती.
जब सो जाता है सारा जहाँ खामोश रात की आगोश में,
क्यूँ मुझे सारी सारी रात नींद नहीं आती.
लेटा रहता हूँ बिस्तर पे मैं अपनी बांहों को फैला कर,
क्यों बन कर ख्वाब तुम मेरी बांहों में समा नहीं जाती.
क्या हसीन है वो अदा तेरी मुझे मना करने की,
क्यूँ हमें ऐसी इनकार करने की अदा नहीं आती.
शायद अब तुम ही हो मेरी जुस्तजू और मेरी आखिरी आरजू,
पर तुम से मिलने की ख्वाहिश में ये जान भी तो नहीं जाती.