एक दिन मुझे एक सपना आया. वैसे तो मुझे सपने आते ही नहीं, लेकिन न जाने ये सपना कहाँ से भूले भटके आ गया. खैर, अब आ ही गया, तो देख भी लिया. वैसे अगर मैं अपना ये सपना बयाँ ना ही करुँ तो ठीक रहेगा, क्यों कि इस सपने में जीवन की जो कडवी हकीकत मैंने देखी है, वो शायद ही कोई देखना चाहेगा.
तो सपने में हुआ यूँ, कि एक 20-22 साल का लड़का - वो अब लड़का नहीं था, केवल एक शरीर था. यानी वो लड़का अब मर चुका था. वो रात में नींद में ऐसा सोया कि फिर जागा ही नहीं. घर वाले, दोस्त, रिश्तेदार, पडोसी, जान-पहचान वाले - लगभग सभी की आँखें नम थी. सब भगवान की निष्ठुरता को कोस रहे थे. इतनी छोटी उमर में अपने पास बुला कर भगवान की क्रूरता साफ़ झलक रही थी. सब लोग उस लड़के के साथ बिताए पलों को याद कर रहे थे. उसकी तारीफ किये जा रहे थे. लोगों को काफी उम्मीदें थी इस से.
उस लड़के की आत्मा ये सब देख रही थी. शायद यमराज कहीं ट्राफिक में फंस गए थे. उसके प्राण तो यमराज ने शायद ऑनलाइन ही हर लिए थे लेकिन डिलीवरी लेने तो उन्हें खुद ही आना था. क्यों कि यमलोक की टेक्नोलोजी पृथ्वी से कुछ 10-15 साल पीछे थी. वहां इ-बे (e-bay) जैसा कुछ इजाद नहीं हुआ था. और पृथ्वी के कोरियर वाले भी यमलोक में डिलीवरी नहीं देते थे.
उस लड़के की रूह अन्दर ही अन्दर घुटे जा रही थी. उससे उसके घरवालों और दोस्तों का दर्द देखा नहीं जा रहा था. और कुछ लोगों का बनावटी दुख देख के उन्हें भी साथ में यमलोक ले जाने की इच्छा हो रही थी. अब तक दुख जताने वालों की भीड़ काफी बढ़ चुकी थी. दूसरी तरफ कुछ लोग उसकी लाश को अंतिम संस्कार के लिए जल्दी ले जाने को कह रहे थे. भई, अब ऐसा ही होता है. किसी के पास टाइम नहीं है. बन्दा मरा नहीं कि जल्दी उसे जला आने की होती है.
यहाँ चर्चा चल ही रही थी कि अचानक एक बेहद खूबसूरत परी जैसी लड़की रोती हुई भीड़ को चीर कर अन्दर आती है. उसके चेहरे पर तो जैसे आंसुओं की धार बह रही हो. उसके मुंह से सिर्फ सिसकियाँ ही निकल रही है. शब्दों का तो जैसे अकाल पड़ गया हो. खूबसूरत इतनी कि जैसे कोई अप्सरा हो. बेदाग़ चेहरा जैसे दूध से धुला हो. रोते हुए भी वो इतनी सुन्दर लग रही थी, हँसते हुए तो वो ग़ज़ब ही ढाती होगी.
वहां मौजूद सभी लोग हैरान थे कि ये लड़की इतना क्यों रो रही है? इसे इतना दुख क्यों हो रहा है? फिर जितने मुंह उतनी बातें. तरह तरह से लोग आकलन करने लगे. तरह तरह की बातें होने लगी. लोग अपनी ही कहानियां बनाने में मशगूल हो गए. चंद मिनट पहले जो लोग उस लड़के की तारीफों के पुल बाँध रहे थे, अब वो ही लोग उस लड़के और लड़की के चरित्र पर उंगलियाँ उठा रहे थे. कुछ लोग तो ऐसे मौके का मज़ा लूटने में लग गए. कुछ लोग तो यहाँ तक कहने लगे कि लड़के के कैरेक्टर पर पहले से ही शक था.
वह लड़का वहीँ पास में बैठा यमराज का इंतज़ार करते हुए ये सब नज़ारा देख रहा था. एक तरफ तो उसे उन लोगों पे गुस्सा आ रहा था. मन तो कर रहा था कि जा के एक एक के गाल पर तमाचा जड़ दे, लेकिन ये उसके बस के बाहर था. दूसरी तरफ उस लड़की को देख कर उससे उसका दुख भी सहन नहीं हो रहा था. पर वो करे तो क्या करे?
खैर, लड़के के घरवालों के पूछने पर वो लड़की रोते हुए बहुत धीरे से बोली, "ये लड़का मुझसे बहुत प्यार करता था. शायद मेरे नसीब में ख़ुशी लिखी ही नहीं है."
इतना सुनना था कि घर में कोहराम मच गया. उसके घरवालों को तो जैसे सांप ही सूंघ गया हो. ये सच्चाई उस लड़के के दोस्तों से छिपी नहीं थी, लेकिन ऐसे नाज़ुक मौके पर सबने चुप रहना ही मुनासिब समझा. किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि जा के उस लड़की का साथ दे.
लड़के के घरवाले अपनी इज्ज़त के डर से कहने लगे, "ये लड़की झूठ बोल रही है. सरासर गलत इलज़ाम लगा रही है." लेकिन उस लड़की के आंसू तो झूठे नहीं थे. उसे कैसे झुठलाते सब लोग?
अब तो वहां ज़बरदस्त तमाशा खड़ा हो गया था - बिलकुल वैसे ही जैसे एकता कपूर के सीरियल में होता है. अब तक लोग काफी तरह की बातें बनाकर उस लड़की को ज़लील कर चुके थे.
थोड़ी देर बाद कुछ हिम्मत जुटा कर वो लड़की बोली, "अभी कुछ ही दिन पहले इसने मुझसे अपने प्यार का इज़हार किया था. पर मैं नादान उसे सिर्फ दोस्ती समझती रही. लेकिन आज मुझे अपनी उस भूल का एहसास हो रहा था. मुझे भी लगा कि मैं भी इससे प्यार करती हूँ. आज मैं भी इससे अपने दिल कि बात कहने ही वाली थी. लेकिन भगवान से मेरी ख़ुशी बर्दाश्त नहीं हुई." रोते रोते इतना कह कर वो बेहोश हो गयी.
लोग फिर आपस में कानाफूसी करने में लग गए. इतने में यमराज भी आ गए. लड़के को लगा कि अब तो उसे जाना ही होगा. इधर, यमराज बड़े चिढ़े हुए थे, कह रहे थे, "लगता है ये चित्रगुप्त भी अब बूढा हो गया है. न जाने कौन सा पता दे दिया. वहाँ तो कोई मरा ही नहीं है. और मातम तो यहाँ हो रहा है."
फिर हाथ में एक फोटो लिए किसी को ढूँढने में लग गए. फोटो वाले चेहरे से न जाने किसका चेहरा मिलाने की कोशिश कर रहे थे. वो लड़का अब उठ के यमराज के पास आया और बोला, "यमराज जी, चलिए. मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं होता."
यमराज चौंककर बोले, "ओ हैलो ! कहाँ चलो? बड़ी जल्दी हो रही है तुम्हे." लड़का कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं था. वो सिर्फ हाथ जोड़ कर चलने का इशारा करने लगा.
तभी एकाएक यमराज को ख़याल आया. ये लड़का कोई जीवित इंसान नहीं है. क्यों कि जीवित इंसान यमराज को नहीं देख सकते. यानी ये लड़का नहीं बल्कि कोई आत्मा है. अब तक यमराज लगभग पूरा वाकया समझ चुके थे.
साइड में जा कर उन्होंने फटाफट चित्रगुप्त को कॉल किया. पहले तो चार-पांच गालियाँ दी. फिर बोले, "अबे ओ चित्रगुप्त ! तुमने या तो फोटो गलत दिया है या पता. जल्दी से चेक कर के बताओ किसको लाना है."
दो मिनट बाद चित्रगुप्त बोला, "यमराज ! आपके पास जो पता है वो भी सही है और फोटो भी. वो ऑनलाइन प्राण हरने में मुझसे एक छोटी सी भूल हो गयी है. गलत आदमी के प्राण हर लिए है मैंने. मैं अभी इसे अन-डू (undo) करता हूँ."
यमराज तैश में आ कर बोले, "जब तुम्हे पता है तुम्हें जल्दी चढ़ जाती है तो कम पीनी चाहिए ना. पार्टी में मुफ्त में मिली तो इसका मतलब ये नहीं कि पीते रहो. कोई लिमिट तो होनी चाहिए."
फिर फोन रख कर यमराज उस लड़के के पास गए और बोले, "गलती के लिए क्षमा चाहता हूँ. वो चित्रगुप्त ने नशे में गलती से तुम्हारे प्राण हर लिए. इस भूल के लिए मैं तहेदिल से माफ़ी मांगता हूँ और तुम्हारे प्राण भी तुम्हारे शरीर में वापस डाल देता हूँ."
अब गुस्सा होने कि बारी उस लड़के की थी. वो बोला, "लेकिन ये जो मुफ्त का तमाशा हो गया वो? उसे कौन ठीक करेगा? इस लड़की की इज्ज़त की तो धज्जियाँ उड़ गयी न. उसका क्या?" इच्छा तो हो रही थी कि यमराज को कोर्ट में घसीट ले और घोर लापरवाही और मानहानि का दावा ठोंक ले. लेकिन पृथ्वी लोक कि अदालतों में यमराज पर केस नहीं होते.
यमराज बोले, "अपनी इस गलती का प्रायश्चित करने के लिए मैं इतना कर सकता हूँ कि मैं जीवन चक्र को चार घंटे पीछे कर देता हूँ."
इस पर वो लड़का बोला, "लेकिन एक शर्त है यमराज जी. ये जो कुछ भी हुआ, मुझे सब याद रहना चाहिए."
यमराज बोले, "तथास्तु !" और गायब हो गए.
इसी के साथ सारा ताम-झाम भी गायब हो गया. वो लड़का अपने बिस्तर पर सो रहा था. कुछ देर से उसकी नींद खुली. काफी खुश था वो. आखिर आज उसे अपना प्यार जो मिलने वाला था. उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की चमक थी. वो उठा और तैयार होने चला गया... अपने जीवन की एक हसीन मुलाक़ात के लिए...